मिग-27 की जोधपुर में एकमात्र स्क्वाड्रन-29 स्कॉर्पियो है, जिसमें 7 विमान हैं। मिग-27 ने करगिल यु'द्ध के दौरान भी शामिल हुआ था। पाकिस्तान इसे चुड़ैल कहता था। वायुसेना में मिग-27 को 'बहादुर' नाम से बुलाया जाता है। फा'इटर की विदाई को यादगार बनाने के लिए वायुसेना की सूर्यकिरण विमान की टीम जोधपुर पहुंच चुकी है। सूर्यकिरण विमानों के करतबों के बीच मिग-27 को विदा किया जाएगा। साथ ही, इस समारोह में शामिल होने के लिए मिग-27 के करीब 50 पुराने पायलट्स को भी आमंत्रित किया गया है।
38 साल पहले 1981 में जोधपुर एयरबेस से मिग-27 का सफर शुरू हुआ था, जो कि वहीं समाप्त होगा। मिग-23 में बदलाव करके मिग-27 को बनाया गया था। इस फाइटर जेट को हवा से जमीन पर ह'मला करने का बेहतरीन विमान माना जाता रहा है। इनके फेजआउट होने के बाद वायुसेना के पास मिग श्रेणी के सिर्फ मिग-21 बायसन विमान ही रह जाएंगे।
करीब 4 दशक तक आसमान में पराक्रम दिखाने वाले वायुसेना के फा'इटर मिग-27 का सफर शुक्रवार को थम जाएगा। राजस्थान के जोधपुर में आखिरी उड़ान के बाद मिग-27 के सभी विमानों को फेजआउट यानी बाहर कर दिया जाएगा।