OPPO की 5 जी स्मार्टफोन की लॉन्चिंग रद्द, बॉयकॉट चाइना का असर


आर्थिक मोर्चे पर भी चीन को करारा जवाब देने की तयारी में कड़ा कदम उठाते हुए चीन के सामानो  का बहिस्कार करना सुरु कर दिया है इसी श्रृंखला में चीनी मोबाइल हैंडसेट निर्माता ओप्पो ने बुधवार को देश के विभिन्न हिस्सों में चीनी उत्पादों के बहिष्कार के आह्वान के बीच देश में अपने प्रमुख 5 जी स्मार्टफोन की लॉन्चिंग को रद्द कर दिया। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में गतिरोध बना हुआ है। चीन के प्रति आक्रोश के तहत प्रदर्शनकारियों ने और कुछ व्यापारिक संगठनों ने चीनी सामान का बहिष्कार करने की मांग की।  


 ओप्पो, जो भारत में शीर्ष पांच स्मार्टफोन विक्रेताओं में शुमार है, ने कहा था कि वह बुधवार को यू ट्यूब के माध्यम से अपने फाइंड एक्स 2 स्मार्टफोन के लॉन्च को लाइव कास्ट करेगा। हालाँकि, बाद में लाइवकास्ट को रद्द कर दिया गया और कंपनी ने पहले से रिकॉर्ड किया गया वीडियो अपलोड किया। हालांकि ओप्पो ने रद्द करने का कारण पूछने वाले सवालों का जवाब नहीं दिया, लेकिन रिपोर्टों से पता चलता है कि विरोध प्रदर्शन को देखते हुए रद्द किया गया था।
सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह आर्थिक मोर्चे पर भी चीन को करारा जवाब दे सकती है। इसके तहत देश में विभिन्न क्षेत्रो में चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी की भी समीक्षा की जायेगी। इसमें दिल्ली मेरठ आरआरटीएस की टनल का ठेके का मुद्दा भी अहम है। हाल में चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (एसटीईसी) का मुद्दा शामिल है।
एशियाई विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित इस परियोजना के तहत 5.6 किलोमीटर लंबी टनल का डिजाइन और निर्माण किया जाना है। इसके लिए 9 नवंबर 2019 को निविदा आमंत्रित की गई थी। पांच कंपनियों एसकेईसी कोरिया और टाटा, एसटीईसी चीन, एल एंड टी भारत, एफकोन भारत और गुलेमेक अगीर तुर्की शामिल है। 12 जून को निविदा खुलने पर सबसे कम बोली चीनी कंपनी की रही है। सरकार ने कहा – अभी इस बारे में अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक की जो गाइडलाइन है उनके अनुसार किसी देश और कंपनी को लेकर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है।
दूरसंचार एवं प्रौद्योगिकी उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास चीन की जगह दूरसंचार प्रौद्योगिकी उपकरणों का वैश्विक आपूर्तिकर्ता बनने की क्षमता है। इसके लिए सरकार को उचित तरीके से पहल करने, प्रौद्योगिकी उद्योग को वित्तीय संकट से उबार कर मदद करने की जरूरत है।